गौ सेवा लाभ

राधेश्याम एक ही नाम, गौ सेवा हमारा ही काम।
1000 Years Old Historical Guasala  
श्री राधेबाबा गौलोकधाम आश्रम गौशाला पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट 
Shri Radhe Baba Gaulokdham Gausala Public Charitable Trust


गऊ सेवा पुन्य फलदायी

गौसेवा
अनादिकाल से मानवजाति गौमाता की सेवा कर अपने जीवन को सुखी, सम्रद्ध, निरोग, ऐश्वर्यवान एवं सौभाग्यशाली बनाती चली आ रही है. गौमाता की सेवा के माहात्म्य से शास्त्र भरे पड़े है. आईये शास्त्रों की गौ महिमा की कुछ झलकियाँ देखे –
 गौ को घास खिलाना कितना पुण्यदायी
तीर्थ स्थानों में जाकर स्नान दान से जो पुन्य प्राप्त होता है, ब्राह्मणों को भोजन कराने से जिस पुन्य की प्राप्ति होती है, सम्पूर्ण व्रत-उपवास, तपस्या, महादान तथा हरि की आराधना करने पर जो पुन्य प्राप्त होता है, सम्पूर्ण प्रथ्वी की परिक्रमा, सम्पूर्ण वेदों के पढने तथा समस्त यज्ञो के करने से मनुष्य जिस पुन्य को पाता है, वही पुन्य  बुद्धिमान पुरुष गौ माता को ग्रास खिलाकर प्राप्त कर लेता है.
 गौ सेवा से वरदान की प्राप्ति
जो पुरुष गौ की सेवा और सब प्रकार से उनका अनुगमन करता है, उस पर संतुष्ट होकर गौ माता उसे अत्यंत दुर्लभ वर प्रदान करती है.
गौ सेवा से मनोकामनाओ की पूर्ति
गौ की सेवा यानि गाय को चारा डालना, पानी पिलाना, गाय की पीठ सहलाना, रोगी गाय का ईलाज करवाना आदि करने वाले मनुष्य पुत्र, धन, विद्या, सुख आदि जिस-जिस वस्तु की इच्छा करता है, वे सब उसे प्राप्त हो जाती है, उसके लिए कोई भी वस्तु दुर्लभ नहीं होती.
भूमि दोष समाप्त होते है
गौ का समुदाय जहा बैठकर निर्भयतापूर्वक साँस लेता है, उस स्थान की शोभा को बढ़ा देता है और वह के सारे पापो को खीच लेता है.
सबसे बड़ा तीर्थ गौ सेवा
देवराज इंद्र कहते है- गौ में सभी तीर्थ निवास करते है. जो मनुष्य गाय की पीठ स्पर्श करता है और उसकी पूछ को नमस्कार करता है वह मानो तीर्थो में तीन दिनों तक उपवास पूर्वक रहकर स्नान कर लेता है.
असार संसार छः सार पदार्थ
भवान विष्णु, एकादशी व्रत, गंगानदी, तुलसी, ब्रह्मण और गाय – ये ६ इस दुर्गम असार संसार से मुक्ति दिलाने वाले है.
मंगल होगा
जिसके घर बछड़े सहित एक भी गाय होती है, उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते है और उसका मंगल होता है. जिसके घर में एक भी गौ दूध देने वाले न हो उसका मंगल कैसे हो सकता है ? और उसके अमंगल का नाश कैसे हो सकता है ?.
ऐसा न करे
गौ, ब्राह्मणों तथा रोगियों को जब कुछ दिया जाता है उस समय जो न देने की सलाह देते है वे मरकर प्रेत बनते है.
गोपूजा – विष्णुपूजा
भगवान् विष्णु देवराज इन्द्र से कहते है कि हे देवराज! जो मनुष्य अस्वस्थ वृक्ष और गौ की सदा पूजा सेवा करता है, उसके द्वारा देवताओं, असुरो और मनुष्यों सहित सम्पूर्ण जगत की भी पूजा हो जाती है. उस रूप में उसके द्वारा की हुई पूजा को मैं यथार्थ रूप से अपनी पूजा मानकर ग्रहण करता हूँ.
गोधूली महान पापों की नाशक है.
गायो के खुरो से उठी हुई धूलि, धान्यो की धूलि तथा पुट के शरीर में लगी धूलि अत्यंत पवित्र एवं महापापो का नाश करने वाले है.
 चारो सामान है
नित्य भागवत का पाठ करना, भगवान् का चिंतन, तुलसी को सींचना और गौ की सेवा करना ये चारो सामान है
गो सेवा के चमत्कार
गौ के दर्शन, पूजन, नमस्कार, परिक्रमा, गाय को सहलाने, गौग्रास देने तथा जल पिलाने आदि सेवा के द्वारा मनुष्य दुर्लभ सिद्धियाँ प्राप्त होती है.
गो सेवा से मनुष्य की मनोकामनाएँ जल्द ही पूरी हो जाती है.
गाय के शरीर में सभी देवी-देवता, ऋषि मुनि, गंगा आदि सभी नदियाँ तथा तीर्थ निवास करते है. इसीलिये गौसेवा से सभी की सेवा का फल मिल जाता है.
गौ को प्रणाम करने से – धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चारो की प्राप्ति होती है. अतः सुख की इच्छा रखने वाले बुद्धिमान पुरुष को गायो को निरंतर प्रणाम करना चाहिए.
ऋषियों ने सर्वश्रेष्ठ और सर्वप्रथम किया जाने वाला धर्म गौसेवा को ही बताया है.
प्रातःकाल सर्वप्रथम गाय का दर्शन करने से जीवन उन्नत होता है.
यात्रा पर जाने से पहले गाय का दर्शन करके जाने से यात्रा मंगलमय होती है.
जिस स्थान पर गायें रहती है, उससे काफी दूर तक का वातावरण शुद्ध एवं पवित्र रहता है, अतः गोपालन करना चाहिए.
भगवान् विष्णु भी गौसेवा से सर्वाधिक प्रसन्न होते है, गौ सेवा करने वाले को अनायास ही गौलोक की प्राप्ति हो जाती है.
प्रातःकाल स्नान के पश्चात सर्वप्रथम गाय का स्पर्श करने से पाप नष्ट होते है.
गौदुग्ध – धरती का अमृत
गाय का दूध धरती का अमृत है. विश्व में गौ दुग्ध के सामान पौष्टिक आहार दूसरा कोई नहीं है. गाय के दूध को पूर्ण आहार माना गया है. यह रोग निवारक भी है. गाय के दूध का कोई विकल्प नहीं है. यह एक दिव्य पदार्थ है.
वैसे भी गाय के दूध का सेवन करना गौ माता की महान सेवा करना ही है. क्योकि इससे गोपालन को बढ़ावा मिलता है और अप्रत्यक्ष रूप से गाय की रक्षा ही होती है. गाय के दूध का सेवन कर गौमाता की रक्षा में योगदान तो सभी दे ही सकते है.
 पंचगव्य
गाय के दूध, दही, घी, गोबर रस, गो-मूत्र का एक निश्चित अनुपात में मिश्रण पंचगव्य कहलाता है. पंचगव्य का सेवन करने से मनुष्य के समस्त पाप उसी प्रकार भस्म हो जाते है, जैसे जलती आग से लकड़ी भस्म हो जाते है.
मानव शरीर का ऐसा कोई रोग नहीं है, जिसका पंचगव्य से उपचार  नहीं हो सकता. पंचगव्य से पापजनित  रोग भी नष्ट हो जाते है.

गौ सेवा के लाभ
1. गौ माता जिस जगह खड़ी रहकर आनंदपूर्वक चैन की सांस लेती है । वहां वास्तु दोष समाप्त हो जाते हैं । 
2. गौ माता में तैंतीस कोटी देवी देवताओं का वास है । 
3. जिस जगह गौ माता खुशी से रभांने लगे उस देवी देवता पुष्प वर्षा करते हैं । 
4. गौ माता के गले में घंटी जरूर बांधे ; गाय के गले में बंधी घंटी बजने से गौ आरती होती है । 
5. जो व्यक्ति गौ माता की सेवा पूजा करता है उस पर आने वाली सभी प्रकार की विपदाओं को गौ माता हर लेती है । 
6. गौ माता के खुर्र में नागदेवता का वास होता है । जहां गौ माता विचरण करती है उस जगह सांप बिच्छू नहीं आते । 
7. गौ माता के गोबर में लक्ष्मी जी का वास होता है । 
8. गौ माता के मुत्र में गंगाजी का वास होता है । 
9. गौ माता के गोबर से बने उपलों का रोजाना घर दूकान मंदिर परिसरों पर धुप करने से वातावरण शुद्ध होता है सकारात्मक ऊर्जा मिलती है । 
10. गौ माता के एक आंख में सुर्य व दूसरी आंख में चन्द्र देव का वास होता है । 
11. गाय इस धरती पर साक्षात देवता है । 
12. गौ माता अन्नपूर्णा देवी है कामधेनु है । मनोकामना पूर्ण करने वाली है । 
13. गौ माता के दुध मे सुवर्ण तत्व पाया जाता है जो रोगों की क्षमता को कम करता है । 
14. गौ माता की पूंछ में हनुमानजी का वास होता है । किसी व्यक्ति को बुरी नजर हो जाये तो गौ माता की पूंछ से झाड़ा लगाने से नजर उतर जाती है । 
15. गौ माता की पीठ पर एक उभरा हुआ कुबड़ होता है । उस कुबड़ में सूर्य केतु नाड़ी होती है । रोजाना सुबह आधा घंटा गौ माता की कुबड़ में हाथ फेरने से रोगों का नाश होता है । 
16. गौ माता का दूध अमृत है । 
17. गौ माता धर्म की धुरी है । 
गौ माता के बिना धर्म कि कल्पना नहीं की जा सकती । 
18. गौ माता जगत जननी है । 
19. गौ माता पृथ्वी का रूप है । 
20. गौ माता सर्वो देवमयी सर्वोवेदमयी है । गौ माता के बिना देवों वेदों की पूजा अधुरी है । 
21. एक गौ माता को चारा खिलाने से तैंतीस कोटी देवी देवताओं को भोग लग जाता है । 
22. गौ माता से ही मनुष्यों के गौत्र की स्थापना हुई है । 
23. गौ माता चौदह रत्नों में एक रत्न है । 
24. गौ माता साक्षात् मां भवानी का रूप है । 
25. गौ माता के पंचगव्य के बिना पूजा पाठ हवन सफल नहीं होते हैं । 
26. गौ माता के दूध घी मख्खन दही गोबर गोमुत्र से बने पंचगव्य हजारों रोगों की दवा है । इसके सेवन से असाध्य रोग मिट जाते हैं । 
27. गौ माता को घर पर रखकर सेवा करने वाला सुखी आध्यात्मिक जीवन जीता है । उनकी अकाल मृत्यु नहीं होती । 
28. तन मन धन से जो मनुष्य गौ सेवा करता है । वो वैतरणी गौ माता की पुछ पकड कर पार करता है। उन्हें गौ लोकधाम में वास मिलता है । 
28. गौ माता के गोबर से ईंधन तैयार होता है । 
29. गौ माता सभी देवी देवताओं मनुष्यों की आराध्य है; इष्ट देव है । 
30. साकेत स्वर्ग इन्द्र लोक से भी उच्चा गौ लोक धाम है । 
31. गौ माता के बिना संसार की रचना अधुरी है । 
32. गौ माता में दिव्य शक्तियां होने से संसार का संतुलन बना रहता है । 
33. गाय माता के गौवंशो से भूमि को जोत कर की गई खेती सर्वश्रेष्ट खेती होती है । 
34. गौ माता जीवन भर दुध पिलाने वाली माता है । गौ माता को जननी से भी उच्चा दर्जा दिया गया है । 
35. जहां गौ माता निवास करती है वह स्थान तीर्थ धाम बन जाता है । 
36. गौ माता कि सेवा परिक्रमा करने से सभी तीर्थो के पुण्यों का लाभ मिलता है । 
37. जिस व्यक्ति के भाग्य की रेखा सोई हुई हो तो वो व्यक्ति अपनी हथेली में गुड़ को रखकर गौ माता को जीभ से चटाये गौ माता की जीभ हथेली पर रखे गुड़ को चाटने से व्यक्ति की सोई हुई भाग्य रेखा खुल जाती है । 
38. गौ माता के चारो चरणों के बीच से निकल कर परिक्रमा करने से इंसान भय मुक्त हो जाता है । 
39. गाय माता आनंदपूर्वक सासें लेती है; छोडती है । वहां से नकारात्मक ऊर्जा भाग जाती है और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है जिससे वातावरण शुद्ध होता है । 
40. गौ माता के गर्भ से ही महान विद्वान धर्म रक्षक गौ कर्ण जी महाराज पैदा हुए थे । 
41. गौ माता की सेवा के लिए ही इस धरा पर देवी देवताओं ने अवतार लिये हैं । 
42. जब गौ माता बछड़े को जन्म देती तब पहला दूध बांझ स्त्री को पिलाने से उनका बांझपन मिट जाता है । 
43. स्वस्थ गौ माता का गौ मूत्र को रोजाना दो तोला सात पट कपड़े में छानकर सेवन करने से सारे रोग मिट जाते हैं । 
44. गौ माता वात्सल्य भरी निगाहों से जिसे भी देखती है उनके ऊपर गौकृपा हो जाती है । 
45. गाय इस संसार का प्राण है । 
46. काली गाय की पूजा करने से नौ ग्रह शांत रहते हैं । जो ध्यानपूर्वक धर्म के साथ गौ पूजन करता है उनको शत्रु दोषों से छुटकारा मिलता है । 
47. गाय धार्मिक ; आर्थिक ; सांस्कृतिक व अध्यात्मिक दृष्टि से सर्वगुण संपन्  

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