उद्देश्य

गऊमाता की सेवा

सनातन धर्म और हमारे धार्मिक शास्त्रों में गऊ सेवा का बहुत महत्व बताया गया हैं। इसी भावना का निर्वहन करते हुए आज ‘श्री राधेबाबा गौलोकधाम आश्रम गौशाला’ पावन सिद्द तपोस्थली श्रीराधे (दूधाधारी) टीला - मथुरा  क्षेत्र में सबसे बड़ी गऊशाला के रूप में दिन-रात गऊ माता की सेवा में कार्यरत है। आज गऊशाला में तक़रीबन 200 गायों की सेवा का पुण्य फल यहां आने वाले गौ भक्त और सेवादार उठा रहें है। यहां आने वाले गौ भक्त इस गऊशाला के बेहद विस्तृत क्षेत्र में चल रही विभिन्न गतिविधियों को देखकर काफी प्रभावित होते है। गऊशाला में गऊ माता की सेवा के लिए काफी प्रबंध किए गये है। गऊमाता की सेवा के लिए लगभग 20 सेवादार हमेशा कार्यरत रहते है। यह सेवादार गऊमाता की हर सुख सुविधा का पूरा ध्यान रखते है।
वही मथुरा की सड़को पर घूमने वाली निःसहाय और लाचार गौमाता को सहारा देने के लिए श्रीकृष्ण गऊशाला में विशेष प्रबंध किए गए है। सड़को पर लाचार, बेसहारा और दुर्घटनाग्रस गऊमाता को आश्रय देने और इलाज के लिए गऊशाला ने व्यवस्था की है। वही गौभक्तों के सहयोग से गऊशाला के परिसर में आधुनिक सुविधाओं वाला एक गौशाला का भी निर्माणकिया गया है।
हमारे सनातन धर्म में दान को विशेष महत्व दिया गया है और जैसा गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में कहा है कि कलयुग में ईश्वर के नाम और दान का विशेष महत्व होगा। इसी परमपरा का निर्वहन करते हुए और गौभक्त की सुविधा के लिए गऊशाला ने विशेष प्रबंध किये है। इस क्रम में जो गौभक्त गऊमाता को स्नेह स्वरूप हरा चारा, गुड़ और गौ दान करना चहाते है, उनके लिए गौशाला ने विशेष प्रबंध किए है। ऐसे गौभक्तों के लिए गऊशाला परिसर में निरंतर हरे चारें की कटाई का कार्य किया जाता है। गौभक्त यहां अपने जीवन के विशेष दिनों जैसे जन्मदिवस, शादी की वर्षगांठ और अन्य महत्वपूर्ण अवसरों पर आकर भण्डारे आदि का आयोजन भी कर सकते है। वही गौ चिकित्सा सेवा, गोल्लक पेटी, गौ-ग्रास आदि योजनाओं में अपनी भागीदारी कर गौमाता की सेवा का उत्तम फल प्राप्त कर सकते हैं।

संचालन समिति

मुख्य संरक्षक


सलाहकार समिति


प्रबंधन समिति


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